मैं तुझको पढ़ कर तेरी जबां में लिख रहा हूं
मैं फिर मादरी जबां में कुछ लिखना चाहता हूं
सिर्फ हमबिस्तर हो जाना काफी नहीं तेरा मेरा
मैं तुझे गले लगा कर खूब रोना चाहता हूं
सुना है तेरे शहर के रास्ते भुलभुलैया से है
तेरे शहर के रास्तों में खो जाना चाहता हूं
अगर नशे में हो तुझको भूल जाना मुमकिन
मैं मेरे आंगन में एक मैकदा बनाना चाहता हूं
~ विशाल
No comments:
Post a Comment