दीवारों पर तुम्हारी तस्वीर वैसे ही है
मेज पर तुम्हारे खत वैसे ही है
मैं अब भी सुनता हूं वहीं ग़ज़लें
मेरा तुझको लिखना वैसे ही है
तुम शायद अब पहली सी नही रही
पर मेरा तुझको देखना वैसे ही है
मैं तुझको महसूस कर सकता हूं अब भी
बिस्तर में तेरी खुशबू वैसे ही है
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